हर मनुष्य का जीवन एक लक्ष्य क्या होना चाहिए ? Goal of every human being living in the world?

नमस्ते,
अगर हर मनुष्य अपना निजी लोभ या लक्ष्य छोड़ कर एक जूट हो और सामूहिक लक्ष्य बनाए तो संसार में रहने वाला हर मनुष्य का जीवन एक लक्ष्य क्या होना चाहिए ?

इस संसार में विभिन्न प्रकार के मनुष्य निवास करते हैं हर एक व्यक्ति का व्यक्तिगत लक्ष्य एवं उद्देश्य होते हैं इन सभी लक्ष्य और उद्देश्यों के बारे में मनुष्य के उसे सिद्ध करने के  मार्ग में भिन्न होते हैं हमें यह समझना होगा कि क्या हर व्यक्ति सही मार्ग का चुनाव कर सकता है क्या हर व्यक्ति जानता है कि वह जिस मार्ग पर चल रहा है वह मार्ग उचित है? वही सही मार्ग है? यदि इसका उत्तर हां है तो उस बात का प्रमाण दे कि जिस पर विश्वास किया जा सके और यदि इसका उत्तर ना है तो उसका उत्तर खोजने का प्रयास करें.
     इस संसार में हर एक व्यक्ति का लक्ष्य भिन्न हो सकता है पर परंतु हर व्यक्ति एक दूसरे के साथ किसी ना किसी रूप से जुड़ा हुआ है हर व्यक्ति यह समझता है कि वह अपना लक्ष्य सिद्ध करने के लिए इस संसार में कार्यरत है परंतु वह यह नहीं समझ पाता कि वह वास्तव में दूसरे व्यक्ति के लक्ष्य को सिद्ध करने में उसको सहायक हो रहा है और उसी के लक्ष्य में से प्राप्त वस्तु को वह अपने लक्ष्य की सिद्धि में लगा रहा है उसी प्रकार हर मनुष्य उसी कार्य को दोहराता है
     इसी प्रकार हर मनुष्य समझ बैठता है कि जो वह कर रहा है वहीं उसका लक्ष्य और उद्देश्य है और उस लक्ष्य एवं उद्देश्य को सिद्ध करने में कभी कभी व्यक्तिगत रूप से वह लालची हो जाता है और उसे इस बात का आभास तक नहीं होता है तदुपरांत उसमें कई ऐसी भावनाएं घर कर जाती है कि जिससे वह समझने लगता है कि उसका हर एक कार्य शत प्रतिशत उचित है ऐसी भावना कभी भी लक्ष्य की सिद्धि नहीं करा सकती.
        हर एक मनुष्य को यह समझना होगा कि लक्ष्य कभी व्यक्तिगत या भिन्न नहीं हो सकते परंतु उससे जुड़ी उस व्यक्ति की इच्छा भावना उसे व्यक्तिगत बनाती है
     अगर हमारे वैदिक शास्त्रों की बात की जाए तो उसमें मनुष्य कि वास्तविकता का निरूपण किया गया है  हमारे चार वेदों में ऋग्वेद, सामवेद, यर्जुवेद, अथर्ववेद, में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि व्यक्ति का इस संसार में जन्म से लेकर मृत्यु तक काआचरण किस प्रकार और कैसा होना चाहिए तदुपरांत हमारे महाकाव्य महाभारत के एक प्रसंग दर्शाने वाला और हमारे जीवन के सभी उत्तर देने वाला एक ऐसा पुस्तक हमें भगवान की और से मिला है जिसमें हमारे हर प्रश्न का सही उत्तर और योग्य मार्गदर्शन दिया हुआ है उसे हमें साक्षात भगवान की वाणी मानकर उसका अनुसरण करना चाहिए वह है श्रीमद्भागवत गीता.
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अपने और अर्जुन के संवादों के द्वारा हम मनुष्य को संसार में रहकर उसका परम लक्ष्य क्या होना चाहिए और उसे किस प्रकार सिद्ध किया जा सकता है उसके बारे में बड़े विस्तार में बताया गया है
              श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हर व्यक्ति का जीवन लक्ष्य केवल उस सागर में जाकर मिलना है जिसमें से वह बूंद बनकर इस भौतिक संसार में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझ रहा है
  इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जब तक कोई तिनका आग के साथ होता है तब तक उसका अस्तित्व आग जैसा ही प्रतीत होता है परंतु जब वह उस आग से दूर चला जाता है तब वह कुछ ही क्षणों में अपना अस्तित्व खो बैठता है तो हमें उस तिनके की तरहना करते हुए यह समझना चाहिए कि हमारा परम लक्ष्य परमात्मा में विलीन हो जाना है और उसके लिए हमें हमारी इच्छाओं पर स्वामित्व प्राप्त करना होगा इस संसार में हर व्यक्ति संसार पर स्वामित्व पाने की प्रबल इच्छा रखता है परंतु वह अपने इंद्रियों का दास बना बैठा हुआ है व्यक्ति को परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संसार में दासत्व को स्वीकार करना होगा और अपनी इंद्रियों को अपने वश में करना होगा अगर हम संसार में दासत्व स्वीकार करने में सफल रहे तो इस संसार के भीतर व्यक्तिगत लक्ष्य कि लेशमात्र भी संभावना नहीं रह जाएगी और हमें वह करने के लिए उसे प्राप्त करने के लिए हमारी इच्छाओं पर स्वामित्व प्राप्त करना होगा और उसके लिए हम सबका एक ही लक्ष्य और एक ही रास्ता होना चाहिए और वह रास्ता है हरि नाम संकीर्तन.
              श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि इस कलयुग में मनुष्य का उद्धार हरि नाम कीर्तन मात्र से संभव है तो हम सब का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए हरि नाम कीर्तन.
                 श्रीमान जितेंद्र पवार जी आपका यह प्रश्न पूछने के लिए बहुत-बहुत आभार आप ऐसे ही हमसे जुड़े रहें और अपने साथ अपने मित्रों को भी इसका लाभ दें और इसी आशा के साथ हरे कृष्ण.



Hello,
If every human being has a personal joke or goal and becomes a jute and has a collective goal then what should be the goal of every human being living in the world?

In this world, different types of people reside. Every individual has a personal goal and purpose. All these goals and objectives are different in the way of humanity to prove it. We have to understand whether every person is right Can everybody know that every person knows that the path he is running is the right path? Is that the right way? If the answer is yes, give evidence of that which can be trusted and if there is no answer then try to find the answer.
     The goal of every single person in this world can be different but every person is associated with one another in some way. Everyone understands that he is working in this world to prove his goal but that is not Understand that it is actually helping him to prove the other person's goal, and he was able to achieve the object received from the same goal in the fulfillment of his goal. Land Similarly every man repeats the same act
     In the same way, every human being understands that whatever he is doing is his goal and purpose, and sometimes he personally becomes greedy in proving that goal and purpose, and it does not even appear to him in the future. Many such feelings go home, so that they understand that their every work is 100% right, such a feeling can never achieve the goal.
        Every human being has to understand that the goal can never be personal or different, but the person's desire associated with him makes him personal.
     If we talk about our Vedic scriptures, then in our four Vedas we have been described in detail in the Rigveda, Samaveda, Yarujveda, Atharvaveda, how the person has been born in this world from birth to death. Then what should be, then, in our epic Mahabharata, showing a theme and answering all of our life, such a book tells us We have received from Van, which has given us the correct answer and worthy guidance for every question, we should always follow it as the voice of God and follow it, that is, Shrimad Bhagavata Gita.
In the Shrimad Bhagavat Gita, through the interactions of Lord Shri Krishna and Arjuna, we should be told about what should be the ultimate goal of living and living in the world and how it can be proven in a big detail.
              According to Shrimad Bhagavat Geeta, every person's life goal is to meet only in that ocean, from which he is feeling himself the best in this material world.
 It can be understood in such a way that unless a straw is with fire, its existence seems like a fire, but when it goes away from that fire, then it loses its existence in a few moments, then we In the way of that straw, it should be understood that our ultimate goal is to merge in God and for that we have to gain ownership of our desires. In this world, He has strong desire to gain ownership but he is being enslaved to his senses, in order to achieve the ultimate goal, one has to accept slavery in the world and will have to subdue his senses if we accept slavery in the world. If successful, within this world, there will be no possibility of personal goals, and for us to do it, We have to get ownership on desires and for that we all should have one and the only way and the only way and that is the path of Hari Nam Sankirtan.
              Lord Shree Krishna has said in the Bhagavad-gita that in this Kali-Yuga, the salvation of man is possible only by the name of Kirtan Hari, then the only goal of all of us should be the Hari Naam Kirtan.
                Mr. Jitendra Pawar, thank you very much for asking this question to you and stay with us like you and give your friends the benefit of it, and with this hope Hare Krishna.

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